पासवान ने जोर देकर कहा कि यह कवायद संविधान और Representation of People Act, 1950 के तहत आवश्यक है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची से मृत या फर्जी मतदाताओं के नाम हटाना और प्रवासियों सहित मान्य मतदाताओं को सही रूप से दर्ज करना है । उन्होंने आरोप लगाया कि INDIA ब्लॉक इस प्रक्रिया का विरोध कर रहा है क्योंकि वे हार का डर महसूस कर रहे हैं और अब B JP को लाभ देने हेतु मतदाता सूची घटाने की साजिश रच रहे हैं ।
विपक्ष इस SIR को लेकर चेतावनी दे चुका है कि यह गरीब, दलित, आदिवासी व मुस्लिम मतदाताओं को वोटर सूची से बाहर कर सकता है, क्योंकि अनुमोदित दस्तावेज़ों की सूची में आधार, EPIC और राशन कार्ड जैसी साधारण पहचान पत्र शामिल नहीं हैं । यह प्रक्रिया जून 25 को शुरू हुई थी और 25 जुलाई तक पूरा होना है, इसके बाद 1 अगस्त ड्राफ्ट रोल जारी होगा और 30 सितम्बर को अंतिम सूची ।
जगदीप छोकर (ADR संस्थापक) ने इस अभियान को अनैच्छिक और अपारदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से वंचित वर्गों के मताधिकार को प्रभावित कर सकता है, साथ ही BLO की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है । कांग्रेस और RJD सहित अन्य INDIA ब्लॉक पार्टियों ने SIR प्रक्रिया को NRC के समान एक 'गुप्त पैंतरा' बताया है, जिसे वोटर बहिष्कार के रूप में देखा जा रहा है ।
लोकसभा में संयुक्त विपक्ष MPs की चौथे दिन लगातार बहिष्कार और संसद सत्र बंद हो गया, जिसमें Sonia Gandhi समेत कई नेताओं ने SIR निष्कर्ष को पलटने की मांग की और इसे देशद्रोही कदम करार दिया ।
उत्तर प्रदेश के JDU सांसद ने चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाया, कहा कि वर्षाकाल में सीमित समय में दस्तावेज जमा करना असंभव है और प्रवासी श्रमिक एवं गरीबों का भारी नुकसान हो सकता है ।
चिराग पासवान ने विरोधियों को चुनौती दी है — “अगर हिम्मत है तो चुनाव का बहिष्कार करके दिखाएं।” उन्होंने विपक्षी नेताओं की जमीन से दूरी और उन्हें डराने की कोशिशों पर निशाना साधा ।
संक्षेप में, यह विवाद बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची सुधार व लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई बन चुकी है—जहाँ विपक्ष SIR को मतदाता बहिष्कार की साजिश मानता है और चिराग पासवान इसे एक संवैधानिक, पारदर्शी प्रक्रिया बताकर राजनीतिक आरोपों से इनकार करते हैं।
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