ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर फ्लीट अब भी जांच के दौर से गुजर रही है और इसकी उड़ानों को पूरी तरह से मंजूरी नहीं दी गई है। पोरबंदर में 5 जनवरी 2025 को हुए हादसे के बाद पूरे फ्लीट को सुरक्षा कारणों से ग्राउंड कर दिया गया था। इस दुर्घटना में तटरक्षक बल का एक ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर समुद्र में गिर गया था, जिसमें दो पायलट और एक गोताखोर की जान चली गई। प्रारंभिक जांच में हेलिकॉप्टर की स्वैश प्लेट में तकनीकी खराबी (fracture) को दुर्घटना का मुख्य कारण बताया गया। इसके बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने पूरे फ्लीट – जिसमें सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा उपयोग किए जा रहे लगभग 330 हेलिकॉप्टर शामिल हैं – को तुरंत उड़ानों से रोक दिया।
अब इस फ्लीट की जांच चरणबद्ध ढंग से की जा रही है और कुछ हेलिकॉप्टरों को सीमित स्तर पर उड़ान भरने की मंजूरी दी गई है। HAL के अधिकारियों के अनुसार, फ्लीट की तकनीकी समीक्षा और सुरक्षा निरीक्षण की प्रक्रिया अभी भी जारी है। भारतीय सेना ने हाल ही में कुछ खास यूनिट्स को ऑपरेशनल रूप से तैनात करना शुरू किया है, खासकर कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। वहीं, नौसेना और तटरक्षक बल के ALH अभी भी उड़ान की मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं। HAL के अध्यक्ष डॉ. डी.के. सुनील ने कहा है कि दुर्घटना के कारणों की पूरी रिपोर्ट जुलाई के अंत तक प्राप्त होने की उम्मीद है, और फिलहाल डिजाइन दोष की संभावना कम है।
पिछले वर्षों में ALH ध्रुव से जुड़ी 28 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 13 तकनीकी खराबी, 13 मानवीय भूल और 2 अनिश्चित कारणों से हुईं। हाल की कुछ प्रमुख घटनाओं में सितंबर 2024 में समुद्र में डूबने की घटना और अक्टूबर 2024 में बाढ़ राहत ऑपरेशन के दौरान हुई दुर्घटनाएं शामिल हैं। इन सभी घटनाओं ने ALH ध्रुव की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि HAL और रक्षा मंत्रालय का मानना है कि हेलिकॉप्टर की डिजाइन पर भरोसा रखा जा सकता है, लेकिन मेंटेनेंस, ऑपरेशनल ट्रेनिंग और रूटीन जांच में सुधार की आवश्यकता है।
फिलहाल, ALH ध्रुव फ्लीट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उड़ानों की मंजूरी चरणबद्ध ढंग से दी जा रही है, और जब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक फ्लीट का पूरा संचालन सीमित रहेगा। भारत के लिए स्वदेशी रूप से विकसित यह हेलिकॉप्टर रक्षा संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ऐसे में इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
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