भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी, जिसमें नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया गया।

निसार उपग्रह भारत और अमेरिका के संयुक्त सहयोग से तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों, जैसे कि जंगलों में होने वाले परिवर्तनों, हिमनदों के पिघलने और भूकंपीय गतिविधियों की सटीक निगरानी करना है। यह उपग्रह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

GSLV-F16 का यह मिशन भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल भारतीय अंतरिक्ष तकनीक की क्षमता प्रदर्शित होती है, बल्कि अमेरिका के साथ बढ़ते सहयोग को भी मजबूती मिलती है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने इसे “भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्णिम पल” करार दिया।

निसार उपग्रह का वजन लगभग 2,800 किलोग्राम है और यह ड्यूल-फ्रीक्वेंसी रडार से लैस है, जो इसे पृथ्वी की सतह का उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैप तैयार करने में सक्षम बनाता है। इसके डेटा से कृषि, वन और जल संसाधनों के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि यह मिशन भारत-अमेरिका साझेदारी का प्रमाण है और भविष्य में दोनों देशों के अंतरिक्ष सहयोग को और भी मजबूती देगा।

इस मिशन के सफल प्रक्षेपण से भारत की अंतरिक्ष प्रगति में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जो वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में इसकी बढ़ती भूमिका को स्पष्ट करता है।