महिला ने कहा कि गिरफ्तारी के समय उस पर दबाव डाला गया था ताकि वह यह कहे कि ननों ने उसका धर्मांतरण कराने की कोशिश की। उसने स्पष्ट किया कि ननों ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया था और उसके बयान पूरी तरह दबाव में दिए गए थे।
यह विवाद कुछ सप्ताह पहले तब शुरू हुआ था, जब छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पुलिस ने दो ननों को कथित धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस का दावा था कि ननों ने एक महिला को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया था। हालांकि, अब महिला के इस बयान से मामले में नया मोड़ आ गया है।
ननों के खिलाफ हुई इस कार्रवाई को लेकर राज्य में राजनीतिक बहस भी छिड़ गई है। कई ईसाई संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया था। महिला द्वारा दिए गए ताज़ा बयान के बाद ननों के समर्थन में आवाज़ें और तेज हो गई हैं।
केरल से आई ये दोनों नन सामाजिक सेवा से जुड़ी हुई थीं और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम कर रही थीं। महिला का कहना है कि उन्होंने उससे केवल मदद की पेशकश की थी, धर्म परिवर्तन के लिए कोई दबाव नहीं बनाया था।
इस मामले में आगे की जांच जारी है, जबकि ईसाई संगठनों ने ननों पर लगे आरोपों को तुरंत वापस लेने और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
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