वाशिंगटन, ३० जुलाई २०२५ – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर १ अगस्त २०२५ से २५% टैरिफ लागू किया जाएगा। साथ ही, भारत की रूस से ऊर्जा और रक्षा उपकरण खरीद पर एक अतिरिक्त “पेनल्टी” भी लगाने की बात कही गई है ।
ट्रम्प ने अपने Truth Social पोस्ट में लिखा कि “भारत हमारा मित्र है, लेकिन हम वर्षों से उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार कर रहे हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा। साथ ही उनके गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएँ बहुत सख्त और अप्रिय हैं” । उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका का भारत के साथ २०२४ में लगभग ४५.७ अरब डॉलर का व्यापार घाटा रहा ।
ट्रम्प ने यह कदम अमेरिका की “रिप्रोसिकल ट्रेड” नीति के तहत उठाया है, जिसके मुताबिक जिन देशों ने १ अगस्त तक व्यापार समझौता नहीं किया, उन पर उच्चतर टैरिफ लगाए जाएंगे। भारत के अलावा अन्य देशों जैसे इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलिपींस आदि पर भी दरें लगी हैं, लेकिन भारत को पेनल्टी समेत सबसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है ।
अमेरिकी प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी है कि जो देश रूस से तेल, गैस या हथियार की खरीद करते हैं, उन पर अतिरिक्त टैक्स या प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं। ट्रम्प ने बताया कि भारत रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है और विं युद्ध के समय यह निर्णय “सभी चीज़ें अच्छी नहीं हैं!” की चेतावनी के रूप में लिया गया है ।
भारत सरकार ने ट्रम्प की घोषणा को लेकर कहा कि वह इस पर गौर कर रही है और इसके प्रभावों का अध्ययन कर रही है। भारत अपने किसानों, उद्यमियों और MSMEs (लघु एवं मध्यम उद्योगों) की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु सभी जरूरी कदम उठाएगा ।
इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि भारत–अमेरिका व्यापार संबंधों में इस कदम से तनाव बढ़ेगा और भारतीय निर्यातकों को विशेष रूप से रसायन, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि एवं तैयार वस्त्र क्षेत्रों में भारी प्रभाव हो सकता है । इसके अतिरिक्त यह विश्व व्यापार बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर सकता है क्योंकि भारत की औसत टैरिफ दर वियतनाम जैसे देशों की तुलना में 5–10 प्रतिशत अधिक हो सकती है ।
कुछ उद्योग चिंतकों ने सुझाव दिया है कि भारत को यूरोप और ASEAN देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने का अवसर मिल सकता है ताकि अमेरिका पर निर्भरता को कम किया जा सके ।
इस फैसले के साथ, ट्रम्प की वैश्विक व्यापार नीति के तहत भारत सहित कई देशों तक व्यापक प्रभाव पहुंचता दिख रहा है। भारत–अमेरिका की बीच लंबित व्यापार वार्ता के बीच इस कदम ने negociação की गतिशीलता को और जटिल बना दिया है, और अब देखना यह है कि क्या भारत समझौता करके टैरिफ को टाल सकता है या इसका प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा पड़ता है।
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