प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र के पहले दिन संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विपक्ष से सहयोग की अपील की और कहा कि यह सत्र “लोकतंत्र को मजबूत करने” का अवसर है। वहीं कांग्रेस, टीएमसी, और AAP सहित विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से मणिपुर, पेगासस जासूसी, और चुनावी बॉन्ड जैसे मुद्दों पर विवादास्पद स्थिति को लेकर सरकार से जवाब मांगा।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हंगामा हुआ, जिससे प्रश्नकाल और शून्यकाल बाधित हुआ। सरकार ने तीन प्रमुख विधेयकों को इस सत्र में पारित करने का इरादा जताया, जिनमें एक नया डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक, जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा, और कृषि सुधारों से संबंधित संशोधन प्रमुख हैं।
इसके अलावा, विपक्ष ने संसद के बाहर भी प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है।
निष्कर्ष:
सत्र की शुरुआत से ही यह स्पष्ट हो गया है कि मानसून सत्र के दौरान गंभीर राजनीतिक बहस और गतिरोध की स्थिति बनी रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार अपनी विधायी योजनाओं को आगे बढ़ा पाएगी या विपक्ष की आक्रामक रणनीति सत्र को बार-बार बाधित करेगी।
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