करीब तीन सप्ताह पहले प्रकाश में आई चौंकाने वाली रिपोर्ट के बाद में, जहाँ एक पूर्व सफाईकर्मी ने धर्मस्थला मंदिर परिसर में महिलाओं- बच्चों की गुप्त कब्रों का आरोप लगाया था, मंदिर प्रशासन ने पहली बार खुलकर प्रतिक्रिया दी है। श्री क्षेत्र धर्मस्थला ने 20 जुलाई को जारी बयान में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) की “ईमानदार और पारदर्शी जांच” का उनका पूरा समर्थन है ।

मंदिर प्रवक्ता के. पर्श्वनाथ जैन ने कहा:

> “सत्य और विश्वास किसी समाज की नैतिक आधारशिला होते हैं…हम उम्मीद करते हैं कि SIT निष्पक्ष जांच कर के सच्चाई सामने लाई जाएगी।”  

बन चुका है SIT, अब है जांच प्रक्रिया तेज़

19 जुलाई को सरकार ने DGP प्रणब मोहंती की अगुवाई में IPS अधिकारियों की टीम गठित की। इसमें DIG एम.एन. अनुचेत, डीसीपी सौम्यलता, SP जितेंद्र कुमार दयामा शामिल हैं ।

टीम को 4 जुलाई को दर्ज केस (Section 211 BNS) की सभी पहलुओं की विस्तार से जांच करने का निर्देश मिला है—जिनमें बिना साक्ष्य कब्रों में दफनाएँ, गायब महिलाएं और मौत के संदिग्ध मामले शामिल हैं ।

महिलाओं और छात्रों की संदिग्ध मौतों तथा पिछले 20 वर्षों में दर्ज लगभग 360 से ज़्यादा लापता-पुंजी मामलों को भी SIT सम्हालेगी ।

घटना की विस्तारपूर्वक पृष्ठभूमि
पूर्व सफाईकर्मी ने बताया कि वर्ष 1995 से 2014 के बीच उसने कई शवों को मंदिर क्षेत्र या नेत्रवती नदी किनारे गुप्त रूप से दफ़नाया – जिनमें बच्चों और महिलाओं के शव थे, कुछ पर यौन उत्पीड़न के निशान थे। उसने अदालत को कब्रों से निकाला गया कंकाल भी सौंपा था ।

सार्वजनिक दबाव तथा प्रतिक्रिया

महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी समेत अनेक वकीलों, मानवाधिकार संगठनों ने हटकर संयुक्‍त SIT की मांग की थी ।

कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने साफ कहा कि “कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं”; सरकार को सभी सबूतों की जांच करनी होगी ।

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने भी कहा है कि पुलिस जांच की रिपोर्ट आने पर आगे कदम उठाए जाएंगे – “कानून की ही राह चलेगी” ।

निष्कर्ष:
धर्मस्थला मंदिर पर लगे संगीन आरोप न सिर्फ मंदिर की छवि को प्रभावित करते हैं, बल्कि यह सामाजिक विश्वास व कानूनी उत्तरदायित्व की परीक्षा भी हैं। अब सबकी नजरें SIT की निष्पक्षता पर हैं—क्या यह पुरानी घटनाओं और अदृश्य कड़ियों को उजागर कर पाएगी, या पर्दा अभी भी बरकरार रहेगा?