ग्रेटर नोएडा, 21 जुलाई 2025 –
शारदा यूनिवर्सिटी में 18 जुलाई की शाम हुई एक छात्रा की आत्महत्या का मामला दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है। BDS सेकंड ईयर की छात्रा ज्योति शर्मा ने अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। मामला उस समय और संवेदनशील हो गया जब उसके कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उसने सीधे-सीधे दो शिक्षकों—महिंदर सिंह चौहान और शैरी वशिष्ठ—पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया।
हालाँकि शुरुआती तौर पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मीडिया और सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है और जांच प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन अब छात्र समुदाय और अंदरूनी सूत्रों के हवाले से जो सच्चाई सामने आ रही है, वह बेहद चौंकाने वाली है।
दरअसल, छात्रों का कहना है कि इन शिक्षकों को वास्तव में निलंबित नहीं किया गया, बल्कि उन्हें सिर्फ विभागीय या हॉस्टल स्तर पर “स्थानांतरित” कर दिया गया है। यानि, उन्हें बस एक जगह से दूसरी जगह भेजा गया ताकि यूनिवर्सिटी पर लग रहे आरोपों को कम किया जा सके और बाहरी दबाव से बचा जा सके।
छात्रों ने ये भी आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी सिर्फ “इमेज बचाने की कोशिश” कर रही है, न कि छात्रा को न्याय दिलाने की। वे कहते हैं कि यूनिवर्सिटी का मकसद अब सिर्फ इतना रह गया है कि यह मामला सोशल मीडिया से गायब हो जाए और इसकी कोई कानूनी या सार्वजनिक जवाबदेही न बने।
इस पूरे घटनाक्रम में अब एक नया एंगल भी सामने आया है – इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कथित ‘सेटिंग’ और मैनेजमेंट का खेल। कई वायरल रील्स और स्टोरीज़ में दावा किया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ फैकल्टी मेंबर्स इंस्टाग्राम पेजेस और व्यक्तिगत मीडिया अकाउंट्स को मैसेज भेजकर उनके पोस्ट हटाने या एडिट करने का दबाव बना रहे हैं।
कुछ स्क्रीनशॉट्स भी वायरल हो रहे हैं जिसमें कथित तौर पर फैकल्टी या वॉर्डन, पेज एडमिन्स से कह रहे हैं कि “पोस्ट हटा दो, मामला सुलझ गया है।” हालाँकि इन सभी पोस्ट्स की स्वतंत्र पुष्टि फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन इन दावों ने छात्रों की बेचैनी और गुस्से को और हवा दे दी है।
वहीं दूसरी ओर, मृत छात्रा के माता-पिता ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी बेटी को बार-बार उसकी बीमारी को लेकर अपमानित किया जाता था। वह गेहूं की एलर्जी से पीड़ित थी, लेकिन इसके बावजूद उसे "नाटक कर रही हो", "रोटियाँ बनाना सीखो", जैसी बातें सुननी पड़ती थीं। छात्रा की माँ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि एक टीचर ने तो यहां तक कह दिया था कि "घर जाकर चपाती बनाओ।"
शारदा यूनिवर्सिटी फिलहाल मीडिया से दूरी बनाए हुए है, और सभी बड़े पत्रकारों को केवल लिखित स्टेटमेंट्स दिए जा रहे हैं। पुलिस ने दोनों शिक्षकों को हिरासत में ले लिया है और जांच जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि छात्रों की आत्महत्याएं लगातार बढ़ रही हैं और ये "सिस्टम की विफलता" को दिखाती हैं।
अब सवाल उठता है –
क्या यूनिवर्सिटी की कार्रवाई सिर्फ दिखावा थी?
क्या छात्रा की मौत के बाद भी संस्थान अपनी छवि बचाने में लगा हुआ है?
क्या सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बातें सच हैं या सिर्फ अफवाह?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि इस बार छात्र चुप नहीं बैठने वाले। कैंपस में गुस्सा है, सोशल मीडिया पर इंसाफ की माँग है और देश भर में छात्र जीवन की सुरक्षा को लेकर एक नई बहस शुरू हो चुकी है।
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