आईएसएस से इसरो प्रमुख को शुभांशु शुक्ला ने दी Axiom-4 मिशन की जानकारी, बोले – ‘रॉकेट लॉन्च रोमांचक था’


नई दिल्ली, 7 जुलाई:

Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रविवार (6 जुलाई) को इसरो प्रमुख वी. नारायणन से बातचीत की और चल रहे वैज्ञानिक प्रयोगों व गतिविधियों की जानकारी दी।


बातचीत के दौरान शुक्ला ने मिशन की सफलता और अपनी सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में इसरो के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया। इसरो प्रमुख ने उनकी कुशलता पूछी और जानना चाहा कि Axiom-4 के अंतरिक्ष यात्री ISS पर किस प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं।


शुक्ला ने विस्तार से बताया कि कैसे ये प्रयोग विज्ञान से जुड़ी अहम चुनौतियों को संबोधित कर रहे हैं, उनके लक्ष्य क्या हैं, और शून्य गुरुत्वाकर्षण में कार्य करना कैसा अनुभव है।


इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने इन प्रयोगों को भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया और कहा कि शुक्ला की पृथ्वी पर वापसी के बाद इन प्रयोगों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि भविष्य के अभियानों में उनसे सीख ली जा सके।


इस बातचीत में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक और मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष डॉ. उन्नीकृष्णन नायर सहित इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।


‘सबसे कठिन कार्य है सोना’: शुक्ला ने बताया ISS पर अनुभव::


इससे पहले 4 जुलाई को हैम रेडियो के ज़रिए स्कूली छात्रों से बातचीत में शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन पर सबसे कठिन काम “नींद लेना” है।

“आपको पता है कि आप सीमित समय के लिए यहां हैं और आप ज्यादा से ज्यादा करना चाहते हैं,” उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रयोगों की व्यस्तता के बीच आराम करना भी उतना ही जरूरी है।


शुक्ला दो सप्ताह तक ISS पर रहेंगे और इस दौरान सात स्वदेशी प्रयोग और पांच वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे, जिनमें जैव चिकित्सा से लेकर पदार्थों के व्यवहार तक पर अनुसंधान शामिल है।


रॉकेट लॉन्च का अनुभव साझा करते हुए शुक्ला ने कहा, “यह बेहद रोमांचक था। जैसे-जैसे ऊपर जाते हैं, गति और अधिक हो जाती है। त्वरण बहुत अधिक था।”


भारत के बढ़ते अंतरिक्ष अभियान में शुभांशु शुक्ला की उपस्थिति एक गौरवपूर्ण क्षण है और गगनयान मिशन को मजबूत आधार प्रदान करती है।