भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में गतिरोध के बीच ट्रंप ने 12 देशों के लिए टैरिफ पत्रों पर किए हस्ताक्षर

वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 5 जुलाई – भारत और अमेरिका के बीच संभावित अंतरिम व्यापार समझौते पर 9 जुलाई से पहले सहमति बनने को लेकर अनिश्चितता के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उन्होंने 12 देशों को पारस्परिक टैरिफ (reciprocal tariffs) की जानकारी देने वाले पत्रों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये पत्र सोमवार को भेजे जाएंगे और 1 अगस्त से शुल्क लागू होंगे।

“मैंने कुछ पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं और वे सोमवार को भेजे जाएंगे—शायद 12। अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग शुल्क दरें हैं,” ट्रंप ने 4 जुलाई को संवाददाताओं से कहा। किन देशों को पत्र मिलेंगे, इसका खुलासा सोमवार को किया जाएगा।

यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। अमेरिका ने पहले भारत पर 26% का पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी, हालांकि भारत ने कई क्षेत्रों में टैरिफ कम करने की इच्छा जताई है। लेकिन कृषि क्षेत्र अब भी बड़ी अड़चन बना हुआ है, जहां भारत की नीति रक्षात्मक रही है।

केवल वस्तुओं पर केंद्रित रहेगा संभावित समझौता:::

भारत की वार्ता टीम, जिसका नेतृत्व मुख्य वार्ताकार और विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे थे, शुक्रवार को एक सप्ताह की बातचीत के बाद अमेरिका से लौटी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि संभावित अंतरिम समझौता केवल वस्तुओं (goods) तक सीमित रहेगा, जबकि सेवाएं और श्रमिक आवाजाही जैसे जटिल मुद्दे इस दौर में शामिल नहीं हैं।

भारत जहां टेक्सटाइल, चमड़ा और जूता उद्योग को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच दिलाने की मांग कर रहा है, वहीं अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाजारों में बेहतर पहुंच चाहता है। वॉशिंगटन की एक अहम मांग है कि भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों पर लगी पाबंदियां हटाए—जिसका भारत में तीव्र विरोध है।

भारत में जीएम फसलों का विरोध:::

भारत में फिलहाल केवल बीटी कपास (Bt Cotton) को व्यावसायिक खेती के लिए मंजूरी मिली है। किसी भी GM खाद्य फसल की खेती को अनुमति नहीं है, हालांकि कुछ परीक्षण चल रहे हैं। GM सोयाबीन और कैनोला तेल के आयात की अनुमति है।
भारतीय किसानों की जोतें अक्सर छोटी होती हैं और तकनीक तक पहुंच सीमित है, जिससे वे जीएम नीतियों में बदलाव से सीधे प्रभावित हो सकते हैं।

ENSSER (यूरोपियन नेटवर्क ऑफ साइंटिस्ट्स फॉर सोशल एंड एनवायरनमेंटल रिस्पॉन्सिबिलिटी) की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, जीएम खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बताने वाले कई अध्ययन उद्योग द्वारा वित्तपोषित थे और दीर्घकालिक, स्वतंत्र अध्ययन उपलब्ध नहीं हैं।

GTRI की चेतावनी: जीएम फसलों से निर्यात जोखिम:::

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) नामक थिंक टैंक ने चेताया कि Bt फसलों के व्यापक उपयोग से गुलाबी सुंडी (पिंक बॉलवॉर्म) जैसे कीटों में प्रतिरोध विकसित हुआ है और नॉन-टार्गेट प्रजातियों जैसे मॉनार्क तितली को खतरा है।

हर्बिसाइड-प्रतिरोधी जीएम फसलों के साथ ग्लाइफोसेट रसायन के अधिक उपयोग से सुपरवीड्स (superweeds) पैदा हुए हैं, जिससे पर्यावरणीय जोखिम बढ़ गया है।
GTRI ने यह भी बताया कि GM और गैर-GM फसलें परिवहन, भंडारण या प्रसंस्करण के दौरान आपस में मिल सकती हैं।

“एक बार GM सामग्री आपूर्ति श्रृंखला में आ गई, तो वह स्थानीय खेती और खाद्य प्रसंस्करण में प्रवेश कर सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय अखंडता और भारत की GM-मुक्त छवि पर खतरा पैदा हो सकता है—खासकर यूरोपीय संघ जैसे संवेदनशील बाजारों में,” GTRI ने कहा।



निर्यात छवि को नुकसान का खतरा::::

भारत की बिखरी हुई कृषि लॉजिस्टिक्स प्रणाली और अलग-अलग GM/गैर-GM फसलों को संभालने की संरचना की कमी से निर्यात में क्रॉस-कंटामिनेशन का खतरा बढ़ जाता है। इससे चावल, शहद, चाय, मसाले और ऑर्गेनिक उत्पादों जैसे क्षेत्रों में निर्यात अस्वीकृति, अधिक जांच लागत, और भारत की GM-मुक्त पहचान को नुकसान हो सकता है।

ट्रंप के दबाव के बावजूद, भारत अब भी सतर्क है और अपने कृषि क्षेत्र, पर्यावरण और वैश्विक व्यापार छवि की रक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या 9 जुलाई की समयसीमा से पहले दोनों देश समझौते पर पहुंच पाते हैं या नहीं।