इस दौरे का सबसे बड़ा ऐलान $565 मिलियन (लगभग ₹4,850 करोड़) की लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा था, जो मालदीव के बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं में खर्च की जाएगी ।
मोदी और मुफ़ीज़ू ने आधिकारिक रूप से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) वार्ता शुरू की, साथ ही मत्स्य, स्वास्थ्य, पर्यटन और डिजिटल विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के समझौते (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए ।
रक्षा क्षेत्र में भारत ने मालदीव की क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई और 72 भारी वाहन मालदीवी रक्षा बलों को सौंपे गए । रक्षा मंत्रालय की नई इमारत का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुफ़ीज़ू ने संयुक्त रूप से किया, जो दोनों देशों की गहरी साझेदारी का प्रतीक है ।
मोदी ने कई भाषणों में कहा कि भारत और मालदीव की साझेदारी ‘सदियों पुरानी’ है, जो समय के साथ और अधिक मजबूत हुई है। उन्होंने इसे ‘भारतीय महासागर में साझीदारी और दोस्ती’ की मिसाल बताया । मोदी ने दोनों देशों की सांस्कृतिक समानताओं और साझा धरोहर का भी उल्लेख किया ।
भारत अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘MAHASAGAR’ दृष्टि को यहां का दौरा रणनीतिक रूप से उपयोग कर रहा है, ताकि हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके ।
संक्षेप में, यह दौरा मालदीव सरकार द्वारा 2023 में चीन-प्रवृत्ति वाली नीतियों को अपनाने के बाद उत्पन्न तनावों को शांत करने और द्विपक्षीय संबंधों को पुनः सक्रिय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। मुफ़ीज़ू द्वारा भारत में आयोजित मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से रिश्तों में नयी सौहार्द्र की शुरुआत हुई ।
द्विपक्षीय सहयोग, रक्षा, व्यापार और आर्थिक साझेदारी को लेकर यह दौरा दोनों देशों के भविष्य में संभावनाओं को विस्तार देने वाला माना जा रहा है।
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