इन एप्स पर न केवल वयस्कों के लिए अनुचित कंटेंट दिखाने का आरोप है, बल्कि यह भी कहा गया है कि ये एप्स अश्लीलता को बढ़ावा देकर समाज में गलत मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, इन प्लेटफॉर्म्स पर बिना उचित सेंसर और कंट्रोल के कंटेंट अपलोड किए जाने की भी शिकायतें मिल रही थीं।
सरकार का यह कदम डिजिटल स्पेस में शिष्टाचार और कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है। यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इससे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुशासन बढ़ेगा।
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