टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र के लिए यह समझौता महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि ब्रिटेन भारत के कपड़ों और रेडीमेड वस्त्रों के लिए एक बड़ा बाजार है। इस समझौते के बाद कई उत्पादों पर टैरिफ में कमी आएगी जिससे भारतीय निर्यातकों को ब्रिटेन में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
लेदर और फुटवियर उद्योग भी इस समझौते से लाभान्वित होगा क्योंकि ब्रिटेन में उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय लेदर उत्पादों की मांग पहले से ही है। अब निर्यातकों को लागत कम होने और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में आसानी होगी।
इंजीनियरिंग और मशीनरी उत्पाद भी इस समझौते के दायरे में हैं, जिससे इस सेक्टर के निर्यात में भी उछाल आने की उम्मीद है। भारत के मध्यम और छोटे उद्यम (एमएसएमई) खासतौर पर इसका फायदा उठा सकेंगे।
इसके अलावा, आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं इस समझौते के तहत नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार हैं। ब्रिटेन पहले से ही भारतीय आईटी कंपनियों का बड़ा ग्राहक है, और यह समझौता इस साझेदारी को और मजबूत करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापार समझौता भारत की अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा आय बढ़ाने में मदद करेगा। भारत के निर्यातकों के लिए ब्रिटिश बाजार में पहुंच आसान होगी, जिससे आने वाले वर्षों में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।
सरकार के अनुसार, यह समझौता भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों के लक्ष्यों के अनुरूप है और इससे छोटे व मध्यम उद्योगों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
कुल मिलाकर, यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक विन-विन स्थिति है और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलने की उम्मीद है।
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