रूस ने 1987 की Intermediate‑Range Nuclear Forces (INF) Treaty को अब मानने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उसने “पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों” को अपने लिए एक प्रत्यक्ष खतरा बताया है । यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा दो परमाणु पनडुब्बियों को रूस के पास “उपयुक्त क्षेत्रों” में तैनात करने के आदेश के बाद आया, जिसे मॉस्को ने एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा । पूर्व रूसी राष्ट्रपति और अब सुरक्षा परिषद में उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय NATO देशों की “विरोधी‑रूसी नीति” का परिणाम है और उन्होंने कहा है कि आगे और कदम उठाए जा सकते हैं ।
विस्तार से जानें
संघर्ष का ऐतिहासिक संदर्भ
INF संधि ने 500–5,500 किलोमीटर तक की लंबी और मध्यम दूरी की जमीनी-लॉन्च वाली बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों को प्रतिबंधित किया था । हालांकि, अमेरिका ने 2019 में इस संधि से बाहर निकलने की घोषणा की और रुसी गैर-अनुपालन का आरोप लगाया । तब से रूस ने कहा था कि वह तब तक मिसाइल तैनाती नहीं करेगा जब तक अमेरिका नहीं करता लेकिन अब वह स्वयं उस प्रतिबंध को समाप्त कर चुका है।
रूस की तर्क‑ और प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्रालय की घोषणा में कहा गया कि अमेरिका और NATO द्वारा यूरोप व एशिया‑प्रशांत क्षेत्रों में तैनात Typhon लांचर और Dark Eagle हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे सिस्टम संतुलन बिगाड़ रहे हैं, जिससे रूस की सुरक्षा को “प्रत्यक्ष खतरा” महसूस हो रहा है ।
मेत्तवेदेव ने सोशल मीडिया पर लिखा:
“यह NATO देशों की विरोधी‑रूसी नीति का परिणाम है। यह एक नई वास्तविकता है जिसके साथ हमारे प्रतिद्वंद्वी अब तालमेल बैठाएँगे। आगे कदमों की अपेक्षा रखें।”
रूसी संसद सदस्य विक्टर वोडोलत्सकी ने कहा कि अमेरिकी पनडुब्बियों पर प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं क्योंकि रूस के पास दुनिया भर में अमेरिकी पनडुब्बियों से भी अधिक परमाणु पनडुब्बियाँ हैं ।
वैश्विक निहितार्थ और ख़तरे
इस फैसले ने परमाणु arms-control बुनियादी ढांचे में एक बड़े अस्थिरता संकेत को उजागर किया है। New START संधि, जो 2026 में समाप्त हो रही है और अभी भी लागू है, कोई निश्चित नवीनीकरण संकेत नहीं दे रही है । विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर वार्ता विफल होती है, तो एक नई परमाणु दौड़ का जोखिम पैदा हो सकता है।
निष्कर्ष
रूस द्वारा INF संधि से हटने की घोषणा एक महत्वपूर्ण राह बदलने वाला मोड़ है—यह शीत‑युद्ध के बाद का सबसे नया संकेत है कि परमाणु संतुलन अब खतरे में है। ट्रम्प प्रशासन की सैन्य चाल और NATO की रणनीतिक नीतियाँ मॉस्को को यह उपयुक्त बताने लगीं कि अब वह पुराने प्रतिबंधों का पालन नहीं कर सकता। मेदवेदेव की टिप्पणी स्पष्ट कर देती है कि यह सिर्फ शुरुआत है—रूस आगे और गति से कदम उठा सकता है।
0 टिप्पणियाँ