वृहद वैश्विक दबाव के बीच, भारत ने संवेदनशील रणनीतिक रुख अपनाने का संकेत दिया है — विशेषकर रूस से तेल आयात को लेकर, जिसे लेकर यू.एस. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के विरुद्ध टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत सस्ते रूसी तेल को खरीदकर वैश्विक बाजार में मुनाफा कमा रहा है, और कहा कि इस पर 25% टैरिफ तत्काल लागू किया जाएगा तथा आगे और बढ़ाया जा सकता है ।


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🧭 MEA का रुख और भारत की दलील

MEA (विदेश मंत्रालय) ने ट्रंप के आरोपों पर कड़ा पलटवार करते हुए कहा कि यह “अन्यायपूर्ण और अनुचित” है। भारत ने स्पष्ट किया कि उसका रूसी तेल आयात कठिन वैश्विक परिस्थितियों में अपनी ऊर्जा सुरक्षा और घरेलू कीमत नियंत्रण के लिए आवश्यक था ।

विदेश मंत्रालय ने यह भी महसूस कराया कि टारगेटिंग भारत तब और अधिक गलत लगता है जब वही पश्चिमी देश — जैसे अमेरिका और EU — रूस से व्यापार जारी रखते हैं, जबकि भारत को बंद करने की धमकी दी जा रही है ।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के निर्णय स्वअनुशासन से, बाज़ार की परिस्थितियों और रणनीतिक स्वतंत्रता के आधार पर लिए जाते हैं, और वे किसी तीसरे देश द्वारा प्रभावित नहीं होते ।



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🔍 वर्तमान स्थिति और भविष्य के संकेत

रूस से तेल की आपूर्ति, जनवरी से जून 2025 तक भारत की कुल तेल आयात में 35% तक थी — जिससे रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है ।

हालांकि कुछ तेल परचिह्नों (refiners) ने हाल में रूसी तेल खरीद अस्थायी रूप से रोके हैं, यह सरकारी नीति परिवर्तन नहीं है। करार और लॉजिस्टिक दृष्टिकोण अभी भी पूर्ववत हैं वैश्विक विश्लेषक इस स्थिति को भारत की बहु-पक्षीय विदेश नीति और स्वायत्त रणनीति रखने की क्षमता के रूप में देख रहे हैं, जहाँ भारत अमेरिका, रूस और EU जैसे देशों के बीच संतुलन बनाये रखने की कोशिश कर रहा है ।