सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय सेना के संदर्भ में 2022 की टिप्पणी पर कड़ी आलोचना करने के बाद, भाजपा ने उन पर और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा पर तीखा झटका बोला है। शीर्ष अदालत ने लखनऊ की अदालत में उनके खिलाफ दायर मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाते हुए स्पष्ट कहा कि अगर वे “सच्चे भारतीय” होते तो ऐसा बयान नहीं देते ।

भाजपा का हमला तेज
भाजपा ने राहुल गांधी को “प्रमाणित राष्ट्रद्रोही” करार देते हुए आरोप लगाया कि वे देश को कमजोर करने और चीन को मजबूत करने की नीति अपनाए हुए हैं । भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मल्विया ने कहा:

> “अगर अदालतें यह तय नहीं कर सकतीं कि कौन राष्ट्रीय है और कौन राष्ट्रद्रोही, तो फिर कौन करेगा? गांधी परिवार की यह अहंकारपूर्ण रवैय्या न्यायपालिका की अवमानना है।”  



न्यायिक सीमा पर सवाल इस कड़ी निंदा के बीच, विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को “असाधारण और अनुचित” करार देते हुए धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की अपील की है ।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा:

> “सुप्रीम कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि कौन ‘सच्चा भारतीय’ है। यह निर्णय न्यायपालिका का क्षेत्र नहीं है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल ने कभी सेना का अपमान नहीं किया।  



INDIA ब्लॉक ने यह ज़ोर देकर कहा कि विपक्षी नेता के रूप में राहुल गांधी का कर्तव्य है कि वे सरकार से जवाब मांगें और राष्ट्रीय मामलों पर सवाल उठाएं ।

विश्लेषण: राजनीतिक परिवेश और संवैधानिक संतुलन एक अन्य दृष्टिकोण में आर्थिक टाइम्स की टिप्पणी यह सवाल उठाती है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को देशभक्ति पर नैतिक व्याख्यान देने की भूमिका निभानी चाहिए थी—विशेषकर जब यह सार्वजनिक बयान स्पष्ट तथ्यों पर आधारित है या नहीं ।

पूर्व इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इस टिप्पणी को “दुखद, दर्दनाक और जवाबदेह” बताया, जो सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के अनुकूल नहीं थी, क्योंकि न्यायाधीश का कर्तव्य संविधान और कानून का पालन करना है, न कि व्यक्तिगत दृष्टिकोण से लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करना ।