जयशंकर ने संसद में बयान देते हुए कहा कि भारत सभी ऐसी घटनाओं पर नजर बनाए हुए है जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव हो सकता है, और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ।
मानचित्र में दिखाए गए क्षेत्र:
अनुमानित ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ मानचित्र में पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा सहित भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र और यहां तक कि म्यांमार का रक्हाइन (अराकन) राज्य भी शामिल बताया गया है । कुछ रिपोर्टों में बिहार, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों को भी इसमें दिखाया गया है ।
तुर्की – बांग्लादेश संबंध और विचाराधारा:
विश्लेषकों के अनुसार, तुर्की की एनजीओ ने बांग्लादेश में शिक्षा, धर्म और सामाजिक परियोजनाओं के माध्यम से अपनी नज़दीकियां बढ़ाई हैं। इनमें ‘Turkish Youth Federation’, IHH जैसी संस्थाएं शामिल हैं, जिन पर आलोचना की जा रही है कि ये पैन‑इस्लामी विचारधारा को बढ़ावा दे रही हैं । विशेष रूप से दक्षिण एशियाई देशों में इसकी रणनीति पाकिस्तान जैसी है, जो भारत‑बांग्लादेश संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंताजनक है ।
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ अवधारणा:
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ एक षड़यंत्र सिद्धांत के रूप में लोकप्रिय हुआ है, जिसमें दावा किया जाता है कि बांग्लादेश समर्थक समूह पूर्वोत्तर भारत समेत पूर्वी राज्यों को अपनी सीमा में शामिल करने की इच्छा रखते हैं ।
सरकार की प्रतिक्रिया:
इस पूरे मुद्दे पर भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस घटना को हल्के में नहीं ले रही है। जयशंकर ने यह बता दिया कि भारत अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए की जाने वाली कूटनीतिक व अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई में सक्रिय है ।
निष्कर्ष:
इस्लामिक समूह ‘सोलतानत‑ए‑बंगला’ द्वारा ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ मानचित्र जारी करने की घटना भारत के लिए ciddi मामला है। विदेश मंत्रालय ने इसे राजनयिक स्तर पर उठाया है और राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। यह घटना तुर्की‑बांग्लादेश सहयोग और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को उजागर करती है।
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