पाकिस्तान ने हाल ही में भारतीय सुरक्षाबलों एवं विदेश मंत्रालय द्वारा पहलगाम हमले से जो लश्कर‑ए‑तैयबा (LeT) तथा उसकी छाया संस्था The Resistance Front (TRF) को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया है। उसकी दलील है कि उसने उक्त आतंकी नेटवर्क को पहले ही पूरी तरह से भंग कर दिया है, जिसने LeT के आरोपों को “वास्तविकता के विपरीत” बताया है । पाकिस्तान के विदेश कार्यालय का कहना है कि LeT “मृत” संस्था है और उसके पास सक्रिय संचालन का कोई दस्तावेज़ी रिकॉर्ड नहीं है । उसकी इंटरनेट वेबसाइट पर प्रकाशित TRF के आधिकारिक बयान में यह दावा किया गया कि पहलगाम हमले के बाद TRF की ओर से एक संदेश सोशल मीडिया पर पोस्ट हुआ था, लेकिन वह “अनधिकृत” था और वह भारत द्वारा संचालित “साइबर‑घुसपैठ” का हिस्सा हो सकता है । TRF का कहना है कि वह इस ब्रेच की जांच कर रहा है जिससे पता चले कि उस संदेश की वास्तविक उत्पत्ति क्या थी और किसके “फिंगरप्रिंट्स” थे ।
अमेरिका ने 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद TRF को एक वैश्विक आतंकवादी संगठन (Foreign Terrorist Organization) घोषित किया है, साथ ही इसे विशेष रूप से डिज़िग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) की सूची में भी शामिल किया गया है । अमेरिका के इस फैसले के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया स्पष्ट थी कि TRF और LeT के बीच अब कोई वैध आधार पर संबंध नहीं है क्योंकि नेटवर्क पहले ही भंग हो चुका है ।
भारत ने इसके विपरीत गंभीर सुराग जुटाए हैं: NIA की जांच रिपोर्ट के अनुसार, आसान नमूने और डिजिटल फॉरेंसिक टीमों ने Muzaffarabad और कराची में सुरक्षित ठिकानों के साथ आतंकी भागीदारी की दिशा में सुराग पाए हैं। ज& के पुलिस और NIA के अनुसार ISI के वरिष्ठ अधिकारियों एवं LeT कमांडरों ने इस हमले को योजनाबद्ध किया था, और इसमें पाकिस्तानी नागरिक सक्रिय रूप से शामिल थे ।
इस हमले के दोषियों एवं संभावित सहायता करने वालों की पहचान के लिए स्थानीय लोगों व पूर्व आतंकियों की ज़बरदस्त पूछताछ की गई, सैकड़ों घरों को तोड़ दिया गया और कई संदिग्धों की FIR दर्ज की गई। पुलिस ने चार संदिग्धों की पहचान की है—दो पाकिस्तानी तथा दो स्थानीय कश्मीरी—और उनके विरुद्ध 20 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया । इन घटनाओं ने भारत‑पाकिस्तान संबंधों को चरम तक तनावग्रस्त कर दिया है: भारत ने ऐतिहासिक “इंडस वॉटर ट्रीटी” को निलंबित कर दिया, पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया, और Attari सीमा पोस्ट को बंद किया है ।
लेकिन पाकिस्तान का यह कहना है कि पूरे मामले में उसे फंसाया जा रहा है, और वह “तटस्थ, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय जाँच” में सहयोग के लिए तैयार है । भारत ने इस प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है, जबकि चीन, श्रीलंका, मलेशिया और यूनाइटेड ग्रेट ब्रिटेन जैसे देशों ने पाकिस्तानी दृष्टिकोण का मौखिक समर्थन भी किया ।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत में संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक तीव्र समीक्षा को जन्म दिया है, और जम्मू‑कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था, खुफिया विफलताएँ और आतंक‑विरोधी नीतियों की पुनरावृत्ति का मसला बन गया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने खोई हुई सुरक्षा पर जिम्मेदारी ली जबकि विपक्ष ने सरकार को तंत्रगत चूक का दोषी बताया है
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