ट्रंप ने इस समझौते की घोषणा एक सार्वजनिक रैली में की, जिसमें उन्होंने इसे "अमेरिकी श्रमिकों और उत्पादकों की जीत" बताया। उन्होंने कहा कि यह सौदा जापान को अमेरिकी कृषि और विनिर्माण उत्पादों के लिए अधिक बाजार खोलने के लिए बाध्य करेगा, जबकि अमेरिका जापानी इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव क्षेत्रों में सीमित रियायतें देगा।
हालांकि, इस घोषणा के बाद वैश्विक मुद्रा बाजार में अनिश्चितता देखी गई। निवेशकों ने इस समझौते को संभावित रूप से मौद्रिक नीति और द्विपक्षीय व्यापार संतुलन को प्रभावित करने वाला माना। इस कारण डॉलर में गिरावट आई और येन मजबूत हुआ।
सोमवार की देर रात ट्रेडिंग में डॉलर 0.6% गिरकर 142.10 येन पर आ गया, जो पिछले तीन हफ्तों में सबसे निचला स्तर है। विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट ट्रंप की नीतियों को लेकर निवेशकों की सतर्कता का संकेत है, जो अमेरिका की मौजूदा आर्थिक दिशा से भिन्न हो सकती हैं।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह समझौता लागू होता है और ट्रंप की नीतियां दोबारा प्रभाव में आती हैं, तो यह डॉलर को और कमजोर कर सकता है, खासकर एशियाई बाजारों के संदर्भ में।
वहीं, जापान के वित्त मंत्रालय ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे जापानी निर्यातकों को लाभ मिलेगा और द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। यह देखना बाकी है कि बाइडेन प्रशासन या अमेरिकी कांग्रेस इस समझौते को कैसे लेती है।
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