18 जुलाई की शाम जब बाकी लोग अपने-अपने कमरों में दिन की थकान मिटा रहे थे, तब ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में जिंदगी चुपचाप हार मान चुकी थी। उस कमरे में एक 20 साल की लड़की — जो सिर्फ एक स्टूडेंट नहीं, एक बेटी थी, एक दोस्त थी, और सपनों से भरी ज़िंदगी का चेहरा थी — ने खुद को खत्म कर लिया।

वो लड़की डेंटल की छात्रा थी। शायद हर रोज़ सुबह उठकर वो भी यही सोचती थी कि एक दिन डॉक्टर बनकर घरवालों का नाम रोशन करेगी। लेकिन किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन उसकी कहानी अचानक अधूरी रह जाएगी।सब कुछ उस सुसाइड नोट से शुरू होता है जो उसने अपनी मौत से पहले लिखा। उस नोट में उसने कुछ शब्द लिखे जो अब देशभर के युवाओं के दिलों को तोड़ रहे हैं। उसने लिखा —

"अगर मैं मर गई तो वो उत्पीड़न की वजह से होगा। मैं अब और नहीं मुस्कुरा सकती, न किसी को खुश कर सकती हूं। बाहर से भले ही मैं हंसती दिखूं, लेकिन अंदर से मैं बुरी तरह टूट चुकी हूं।"

ये वो शब्द हैं जिन्हें पढ़ते ही किसी का भी दिल कांप जाए। आप सोचिए, कोई कितना अकेला और टूटा हुआ महसूस करता होगा जब वो ये मान लेता है कि अब जीने लायक कुछ बचा ही नहीं है।

उसने अपने खत में दो फैकल्टी मेंबर्स का नाम भी लिखा, जिन पर उसने मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उसने साफ तौर पर कहा कि उन्हें उसकी हालत का पता था, फिर भी उन्होंने उसे बार-बार नीचा दिखाया, ताने मारे, और उसे वो इंसान बना दिया जिसे खुद से नफ़रत होने लगी।सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर यह मामला आग की तरह फैल गया है। उसके दोस्त, उसके क्लासमेट्स, और यहां तक कि अजनबी लोग भी उसकी मौत से दुखी हैं।

यूनिवर्सिटी की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन लोगों का गुस्सा और दुख सोशल मीडिया पर साफ झलक रहा है। हर कोई यही मांग कर रहा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सज़ा मिले।