यूरोपीय संघ ने गुजरात की रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध, रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर कसा शिकंजा
यूरोपीय संघ (EU) ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए शुक्रवार को एक नया प्रतिबंध पैकेज जारी किया है, जिसमें भारत की गुजरात स्थित एक रिफाइनरी को भी शामिल किया गया है। यह रिफाइनरी नायरा एनर्जी लिमिटेड की है, जिसमें रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है।
EU की शीर्ष राजनयिक काजा कैलास ने कहा, "हम पहली बार किसी झंडा पंजीकरण (flag registry) और भारत में रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी को लक्षित कर रहे हैं।" यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी कांग्रेस भी उन देशों पर प्रतिबंधों को सख्त करने पर विचार कर रही है, जो रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए हैं। भारत, चीन और ब्राजील को अमेरिकी सांसदों द्वारा संभावित लक्षित देशों के रूप में नामित किया गया है।
नई EU पाबंदियों के तहत कुछ प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
रूसी तेल की कीमत सीमा को $60 प्रति बैरल से घटाकर $47.6 प्रति बैरल कर दिया गया है। यह सीमा G7 देशों की जहाजरानी और बीमा सेवाओं के इस्तेमाल के संदर्भ में लागू होती है।
रूसी कच्चे तेल से बनी पेट्रोलियम उत्पादों के EU में आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
रूस और जर्मनी को जोड़ने वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों नॉर्ड स्ट्रीम 1 और 2 पर पूर्ण लेन-देन प्रतिबंध लागू किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रूस की ऊर्जा आय को सीमित करने के वैश्विक प्रयासों का हिस्सा है, ताकि यूक्रेन युद्ध के लिए फंडिंग पर लगाम लगाई जा सके।
भारत की ओर से अभी तक इन प्रतिबंधों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इससे भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर असर पड़ सकता है, विशेष रूप से तब जब भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए रूसी तेल पर काफी निर्भर हो गया है।
यह पहली बार है जब किसी भारतीय कंपनी को पश्चिमी प्रतिबंधों का सीधा निशाना बनाया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति पर असर पड़ सकता है।
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