अमेरिकी सीनेटर और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी लिंडसे ग्राहम ने भारत और चीन को रूस के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि ये दोनों देश रूस के साथ अपने रिश्ते बनाए रखते हैं, तो उन्हें अमेरिका की ओर से गंभीर रणनीतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

यह टिप्पणी तब आई है जब अमेरिका और पश्चिमी देश रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मास्को पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा चुके हैं। लिंडसे ग्राहम ने कहा कि रूस के साथ किसी भी तरह का सहयोग, चाहे वह सैन्य, आर्थिक या तकनीकी हो, वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

ग्राहम ने खासतौर पर भारत को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका भारत का मित्र है, लेकिन यदि भारत रूस के साथ गहरे सैन्य और आर्थिक संबंध बनाए रखता है, तो यह संबंध प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ट्रंप की संभावित अगली सरकार इस मुद्दे पर सख्त नीति अपना सकती है।

चीन के संदर्भ में ग्राहम ने ज्यादा तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि बीजिंग का रूस को समर्थन करना वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए चुनौतीपूर्ण है और यह अमेरिका के लिए सीधी सुरक्षा चिंता बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों से पहले भारत और चीन को एक स्पष्ट संदेश है। यदि ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो विदेश नीति में कुछ कठोर बदलाव हो सकते हैं, खासकर रूस के समर्थकों के प्रति।

भारत की विदेश नीति अब तक "रणनीतिक स्वतंत्रता" के सिद्धांत पर आधारित रही है, लेकिन अमेरिका के ऐसे बयानों से भारत के लिए संतुलन बनाए रखना कठिन हो सकता है।

ग्राहम की यह चेतावनी भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या असर डालेगी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन फिलहाल यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।