यह निर्णय एक व्यापक कार्यकारी आदेश का हिस्सा है जिसमें लगभग 68 देशों और EU को 10%‑41% तक के टैरिफ लागू किए जा रहे हैं, जिनमें भारत को 25% निर्दिष्ट किया गया है ।
🔍 परिदृश्य और प्रभाव
ट्रंप ने भारत को “Dead Economy” करार देते हुए उसकी अर्थव्यवस्था पर कड़ी टिप्पणी की और उसकी ब्रिक्स जुड़ाव व रूस से रक्षा-ऊर्जा सौदों को भी आलोचना की ।
U.S. प्रशासन व्यापार समझौतों की अनुपलब्धता से नाराज है, जो कई देशों के साथ लंबित हैं, भारत इनमें शामिल है ।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया
व्यापार और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि भारत राष्ट्रहित के दृष्टिकोण से कदम उठाएगा, ट्रंप की आलोचना को खारिज करते हुए निष्पक्ष व्यापार और आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया ।
सरकार ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति की टिप्पणी भारत के दृष्टिकोण को गलत तरीके से व्यक्त करती है और भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं झुकेगा ।
🧾 उद्योग और निर्यात पर असर
कपड़ा, आभूषण, फार्मा, एसएमएस (स्वास्थ्य व IT सेवाएं) जैसे क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं ।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि तात्कालिक प्रभाव सीमित रहेगा, लेकिन भावना प्रभावित होगी और छोटे निर्यातक कंपनियों में असमंजस पैदा हो सकता है ।
🌐 वैश्विक व्यापार एवं रणनीति पर प्रभाव
अमेरिकी रणनीति "America First" नीति के तहत तैयार की गई है, जिसमें अमेरिकी उद्योगों की रक्षा और विदेशी व्यापार बाधाओं को टूटना मुख्य उद्देश्य है ।
भारत, अभी भी वैश्विक ‘China-plus-one’ रणनीति में निवेशकों के लिए अहम विकल्प रहा है, इसके बावजूद अमेरिका के इस कदम से व्यापार निर्णयों में अनिश्चितता बढ़ गई है ।
🧭 निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में लगाए गए ये नए व्यापार प्रतिबंध भारत और अन्य देशों के लिए ट्रेड फ्रंट में बड़ी चुनौती बन गए हैं। भारत ने अपनी आत्मनिर्भरता और वैश्विक व्यापार सुरक्षा बनाए रखने का संकल्प दोहराया है। जबकि अमेरिकी नीतियों से उत्पन्न व्यापक आर्थिक दबाव से सामना करना पड़ेगा, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह राष्ट्रीय हित की रक्षा और आत्मनिर्भर आर्थिक नीति की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ेगा।
0 टिप्पणियाँ