टीसीएस प्रबंधन के अनुसार, कंपनी अपनी कार्यशैली में तेजी से बदलाव कर रही है और एआई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रही है। इससे कई पारंपरिक भूमिकाएं अप्रासंगिक हो रही हैं, जिसके कारण कर्मचारियों की संख्या घटाने का फैसला लिया गया है। कंपनी का कहना है कि नई तकनीक अपनाने से कार्यकुशलता बढ़ेगी और लागत में कमी आएगी, जिससे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी।
सूत्रों के मुताबिक, यह छंटनी आने वाले महीनों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। कंपनी कर्मचारियों को वैकल्पिक करियर विकल्प प्रदान करने और रिस्किलिंग (पुनः प्रशिक्षण) में मदद करने का दावा कर रही है। इसके अलावा, प्रभावित कर्मचारियों को सेवरेंस पैकेज (अंतिम पैकेज) देने की भी घोषणा की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय आईटी उद्योग के भविष्य को दर्शाता है, जहां एआई और ऑटोमेशन के कारण बड़ी संख्या में पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एआई नई नौकरियों के अवसर भी पैदा करेगा, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को नई तकनीकी क्षमताओं के साथ खुद को अपडेट करना होगा।
इस घटना ने आईटी सेक्टर के हजारों कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। सोशल मीडिया पर कई कर्मचारी अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं और इसे उद्योग के लिए चेतावनी मान रहे हैं।
टीसीएस का कहना है कि कंपनी का उद्देश्य तकनीकी बदलाव के दौर में प्रतिस्पर्धी बने रहना है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "हम भविष्य के अनुरूप खुद को तैयार कर रहे हैं और अपने ग्राहकों को बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए तकनीक को प्राथमिकता दे रहे हैं।"
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